पिछोर में बेरोजगार युवाओं का कारोबार बन चुका जुआ-सट्टा
सूत्रों के मुताबिक जानकारी के अनुसार पिछोर नगर के आसपास गांव समेत में होता है लाखों का जुआ
सूत्रों द्वारा यह भी जानकारी है कि 25 से 30 हजार रुपए है रोज फिक्स
छोटा शिवहरे को पिछोर में जुआ खिलाने के संरक्षण किसने दिया?
आखिरकार किसके संरक्षण में चल रहा है यह खेल? संवाददाता/ सत्येंद्र सेंगर
शिवपुरी /पिछोर / मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जहां जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत जुआ-सट्टा और अवैध मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटे हैं, वहीं पिछोर नगर और उसके आसपास के गांवों में जुआ-सट्टे का कारोबार बेखौफ जारी है। सूत्रों की मानें तो स्थानीय प्रभावशाली लोगों की मदद से यह अवैध कारोबार संचालित हो रहा है, जिससे युवा वर्ग इस दलदल में फंसता जा रहा है।
नगर में लंबे समय से इस गैरकानूनी गतिविधि का संचालन किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण इस पर कोई प्रभावी रोक नहीं लग पाई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस को सब कुछ मालूम होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, जिससे सटोरियों के हौसले बुलंद हैं।
खुलेआम चल रहा जुआ-सट्टा कारोबार
सूत्रों की मानें तो पिछोर के आसपास के गांवों में जुआ-सट्टा कारोबारियों का एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जो इस अवैध धंधे को संचालित कर रहा है। बताया जाता है कि नगर के कई व्यवसायी भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं। हालात यह हो गए हैं कि नगर की तंग गलियों और सार्वजनिक स्थानों पर खुलेआम सट्टा खेला जा रहा है और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही।
हर रोज लाखों का सट्टा, पुलिस प्रशासन मौन
सूत्रों के अनुसार, पिछोर नगर में रोजाना लाखों रुपए का जुआ-सट्टा खेला जाता है। यहां तक कि स्थानीय प्रशासन को इस गैरकानूनी गतिविधि की पूरी जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। इस वजह से यह धंधा दिन-प्रतिदिन तेजी से फलफूल रहा है।
युवाओं पर पड़ रहा बुरा असर
नगर में बढ़ते इस गैरकानूनी कारोबार का सबसे ज्यादा असर बेरोजगार युवाओं पर पड़ रहा है। जुए-सट्टे की लत के कारण युवा वर्ग अपराध की ओर बढ़ रहा है, जिससे चोरी, लूटपाट और अन्य अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है।
प्रशासन कब करेगा कार्रवाई?
स्थानीय जनता की मांग है कि पुलिस और प्रशासन इस अवैध कारोबार पर तुरंत रोक लगाए और इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। अगर प्रशासन समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाता, तो यह समस्या और गंभीर होती चली जाएगी।