वन विभाग में दाग अच्छे हे दागो से मिलता है प्रमोशन कालातीत में शिकार प्रकरण
विभागीय जांच करने की जगह कर दिया प्रमोशन ।
शिवपुरी /गुना वनमण्डल में शिकार से जुड़े गंभीर शिकार के प्रकरण होते हुए भी वर्षो तक फाइलों को दबा कर बैठे हैं। इनमे दो प्रकरण कालातीत में तब्दील हो चुके हैं। शिकार से जुड़े दोनो मामले गंभीर है। गंभीर मामले होने के बावजूद आजतक मामलो मे गुना वन मण्डल के किसी भी अधिकारी ने मामलो को संज्ञान में लेने की जरूरत नहीं समझी । वर्ष 2017_18 से 2019 तकरीबन 5 से तीन वर्ष के मध्य तमाम उप वनमण्डल अधिकारी वन मण्डल अधिकारी आए और चले गए। पर ना तो ये अधिकारी जंगल सुरक्षा के प्रति गंभीर रहे ना ही जंगली जानवरों के प्रति सजग रहे । नतीजन जिले से वनों का सफाया होता चला गया साथ ही जंगली जानवरों का शिकार भी बढ़ता चला गया । वर्तमान में सिर्फ नाम का जंगल जिले में बचा हुआ । जिसमे वनों के विकास और केम्पा मद की राशियों से बचाने की जहद कम,भ्रष्टाचार ओर कमीशन का खेल ज्यादा चल रहा है। इन सभी सभी से ओत प्रोत वन विभाग और उसके जिम्मेदार बिना किसी डर के लगातार भ्रष्टाचार की पगडंडी पर चल रहे हैं।
फतेहगढ़ वन परिक्षेत्र के गोयली कांड के रेंजर को पदोन्नति ।
वर्ष 2017_18 के फतेहगढ़ वन परिक्षेत्र में पांच तस्करों से जिंदा अवस्था में दर्जनों गोयली पकड़ी गई थी। जिसका प्रकरण भी दर्ज हुआ । तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी दशरथ अखंड व वन आरक्षक ओमप्रकाश रघुवंशी इस में कार्यवाही में शामिल थे । बताया जाता है मामला तत्कालीन एसडीओ तक पहुंचने के बाद मामले को आगे नही बढ़ाया गया । ओर मामले को गोयली तस्करो से 350000 तीन लाख पचास हजार में सौदा कर तस्करों को छोड़ दिया गया था। इतना नही तस्करों को दर्जनों गोयली भी पैसों के एवज में लौटा दी गई थी । आपको बता दे गोयली की तस्करी बड़े पैमाने पर की जाती है। पूछ ताछ के दौरान गोयली तस्करों ने 15 से 20 हजार एक गोयली की कीमत बताई थी । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी कीमत लाखों में पहुंच जाती है। इस मामले की शिकायत के बाद तत्कालीन उप वनमण्डल अधिकारी मयंक चांदीवाल द्वारा तत्कालीन रेंजर दशरथ अखंड वन आरक्षक ओमप्रकाश रघुवंशी सहित चौकीदारों पर विभागीय जांच वन संरक्षक पदेन वन वृत्त शिवपुरी को प्रस्तावित की थी । जिसका आदेश क्रामक 1063 है। विभागीय जांच तो ठंडे बस्ते में गई उल्टा तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी फतेहगढ़ को वर्तमान एसडीओ के पद पदोन्नत कर दिया गया । ओर वन आरक्षक ओमप्रकाश रघुवंशी बमोरी रेंज में पदस्थ हैं । वही अगर सूत्रों की माने तो दशरथ अखंड पर कई जांच लंबित है।
मधुसूदन गड़ में काला हिरण (ब्लैक बग) व नील गाय शिकार की फाइल दफ्न।
मधुसूदन गड़ वन परिक्षेत्र अंतर्गत 23_24 जून 2019 को एक सफेद रंग की कार से कृष्ण मृग और नील गाय को मृत अवस्था में बरामद किया था। शिकारी रात का फायदा उठाकर भागने में कामयाब बताए जाते हैं। इस प्रकरण को वन विभाग के किसी अफसर ने अंजाम पर पहुंचाने की हिमाकत नही दिखाई । सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार बताया जाता है,वन विभाग के तत्कालीन कारिंदो ने मामले में बड़ा खेला किया है। जिसकी वजह से शिकारी कार बरामद होने के बाद भी पकड़े नही गए। ओर शिकार से जुड़ी फाइल को भी दबा दिया गया। जबकि नियमनुसार मधुसूदन गड़ वन विभाग को मामले तत्परता दिखानी चाहिए थी । काला हिरण वन सूची में पहले स्थान पर है। वाइल्ड लाइफ से भी काले हिरण को सरक्षण प्राप्त हे जिससे काला हिरण अनुसूची एक में रहते हुए वाइल्ड लाइफ से जुड़ा है। इसके बावजूद मधुसूदन गड़ वन विभाग सहित वन मण्डल के जिम्मेदार अभी तक मामले में सुस्त दिखाई देते हैं। वैसे वन विभाग को दाग अच्छे लगते हैं, तभी तो पदोन्नति मिलती है। ओर मामलो को रफा दफा करने पर लक्ष्मी भी अर्जित होती है। यही कारण है वन विभाग में डर और भय दूर दूर तक नहीं दिखाई देता है।